जातिवाद और धार्मिक पाखंडवाद का जहर सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि यह एक समय इजरायल में भारत की तरह ही विद्यमान था। इस भयानक कैंसर पर प्रभू येशु मसीह ने 2000 साल पूर्व भयंकर कुठाराघात किया। सारी सृष्टि के मालिक ने मानव रुप धारण किया और मानव की वास्तविक समस्याओं को मिटाने का अद्भुत कार्य किया। पवित्र बाइबल हमें बताती हैं कि यहूदी लोग सामरी लोगों से छूआछूत करते थे (संत यूहन्ना अध्याय 4). आज जब तमाम तरह के कानून और पढ़ाई के बाद भी लोग जातिवाद में जकड़े है तो सोचिए कि २००० साल पहले परिस्थितियां कैसी रही होंगी! प्रभू येशु मसीह ने जातिवाद को मिटाने का जो नमूना पेश किया है वह इस प्रकार है—-
“सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला।
क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी होकर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता” (संत यूहन्ना 4:5-10 http://www.bible2all.com).
यहां यह गौर करने लायक बात है कि यह स्त्री सामरी जाति की होने के कारण अचंभित थी कि एक यहूदी कैसे उससे पानी मांग सकता है (संत यूहन्ना 4). प्रभू येशु मसीह ने उस समय के समाज की सड़ांध मारती मानसिकता और घमंडी समाज के ठेकेदारों की परवाह न करते हुए एक सामरी स्त्री के हाथ से पानी पीना स्वीकार किया। इस कहानी में सबसे महत्वपूर्ण आध्यत्मिक पहलू हैं मगर मैं सिर्फ सामाजिक पहलू पर ही प्रकाश डालूंगा क्योंकि मेरे लेख का विषय वही हैं। प्रभू येशु मसीह ने जब इन जातिगत दीवारों को गिराया तो इसका परिणाम यह हुआ कि सामरियों ने उनको मसीहा (उद्धारकर्ता) के रूप में स्वीकार किया। आगे की कहानी इस प्रकार हैं-
“और उस नगर के बहुत सामरियों ने उस स्त्री के कहने से, जिस ने यह गवाही दी थी, कि उस ने सब कुछ जो मैं ने किया है, मुझे बता दिया, विश्वास किया। तब जब ये सामरी उसके पास आए, तो उस से बिनती करने लगे, कि हमारे यहां रह: सो वह वहां दो दिन तक रहा। और उसके वचन के कारण और भी बहुतेरों ने विश्वास किया। और उस स्त्री से कहा, अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है” (संत यूहन्ना 4:39-42 http://www.bible2all.com).
इस कहानी में हम देखते हैं कि न सिर्फ उन्होंने चलते चलते पानी पीया बल्कि दो दिन उनके घरों में उनके साथ रहे। प्रभू येशु मसीह की आध्यात्मिक क्रांति यहीं नहीं रुकी मगर बाद में प्रभू येशु मसीह के शिष्य फिलीप (यहूदी), प्रभू येशु मसीह के नक्शे कदम पर चलते हैं कहानी इस प्रकार बनती हैं-
“और फिलीप सामरिया नगर में जाकर लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा। और जो बातें फिलीप ने कहीं उन्हें लोगों ने सुनकर और जो चिन्ह वह दिखाता था उन्हें देख देखकर, एक चित्त होकर मन लगाया -(प्रेरितों के काम 8:5-6 http://www.bible2all.com).
इस प्रकार हम देखते हैं कि यहूदियों और सामरियों के बीच की जातिगत दीवारें गिरने लगीं। जैसा कि लिखा है-“एक चित्त होकर मन लगाया” -(प्रेरितों के काम 8:5-6 http://www.bible2all.com). इसका सार यह निकलता है कि ईसाईयत के प्रभाव से मन के भेदभाव और मैल धुल गए। अब हम समझ सकते हैं कि यूरोप में क्रांति ऐसे ही नहीं आई है। काले गोरे के भेद ऐसे ही नहीं मिटे हैं। इजरायल महाशक्ति ऐसे ही नहीं बना है। मसीह की पावन ज्योति ने जातिवाद के अंधकार को मिटाया हैं। उसी दौर में प्रभू येशु मसीह के सेवक, संत पौलुस, जातिवाद को
मिटाने की शिक्षा पवित्र बाइबल में इस प्रकार देते हैं-
“क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो। और यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो
-(गलातियों 3:26-29 http://www.bible2all.com).
अब धार्मिक पाखंडवाद पर प्रभू येशु मसीह के आक्रमण को देखते हैं-
“यहूदियों का फसह का पर्व निकट था और यीशु यरूशलेम को गया। और उस ने मन्दिर में बैल और भेड़ और कबूतर के बेचने वालों ओर सर्राफों को बैठे हुए पाया। और रस्सियों का कोड़ा बनाकर, सब भेड़ों और बैलों को मन्दिर से निकाल दिया, और सर्राफों के पैसे बिथरा दिए, और पीढ़ों को उलट दिया। और कबूतर बेचने वालों से कहा; इन्हें यहां से ले जाओ: मेरे पिता के भवन को व्यापार का घर मत बनाओ। तब उसके चेलों को स्मरण आया कि लिखा है, तेरे घर की धुन मुझे खा जाएगी” (यूहन्ना 2:13-17 http://www.bible2all.com).
मुझे यह कहने कि जरुरत नहीं है, बल्कि आप खुद समझ सकते हैं कि मंदिर में घुसकर, धर्म के नाम पर लूट मचा रहे धार्मिक पाखंडियों के धंधे पर हमला करना कितना खतरे से भरा कदम है। प्रभू येशु मसीह के इस कदम के कारण उनके शिष्यों में निर्भिकता का संचार हुआ और परिणामस्वरूप संत पीटर, स़ंत पौलुस और मार्टीन लूथर जैसे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने प्रभू येशु मसीह की महिमा की तथा पाखंड पर करारा वार किया। प्रभू येशु मसीह की कृपा से ही यूरोपीय देशों और इजरायल से आडंबर का पर्दा हटने लगा और मानवता के लिए उम्मीद की किरण जागी।