आरजू है हर तरफ दिखे मसीहा- मसीही गजल

थोड़ा रहमो करम इधर कर दे
तू मेरी दुआओं में असर कर दे

होना है मुझको बेपरवाह ऐसा
अब सारे जहाँ से बेखबर कर दे

एक तू ही मेरी मंजिल बन जाये
तुझी को तू मेरा नूरेनजर कर दे

अब दिल न लगे, मेरा कहीँ भी
खुद को मेरा लख्तेजिगर कर दे

आरजू है हर तरफ दिखे मसीहा
दिल ए हस्ती में ये मंजर कर दे

जीवन की पवित्रता : मसीही दृष्टिकोण

मसीही दृष्टिकोण के हिसाब से जीवन अपने आप में पवित्र है, क्योंकि जीवन का उत्पतिकर्ता परमेश्वर पवित्र है। परमेश्वर अनंत है एवं इसी कारण से परमेश्वर ने जीवन को भी अनंत ही बनाया। इसी कारण पवित्र बाइबिल में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर ने मानव को अपने “स्वरूप एवं समानता” में निर्मित किया (उत्पति 1:26). कहने का सीधा तात्पर्य यह है कि यह शरीर, साँसें तथा भावनात्मक व्यक्तित्व इत्यादि सब कुछ पवित्र है। सेक्स, भूख एवं लालसा इत्यादि सब कुछ पवित्र है। मसीहत में अपवित्रता का अर्थ यह है कि पापकर्म के कारण शरीर एवं आत्मा में कुछ दोष या विकृति का वास हो चुका है मगर उसका तात्पर्य यह कभी नहीं हो सकता कि हम हमारे शरीर या शारीरिक इच्छाओं से यह सोचकर घृणा करने लगें कि हमारा शरीर अशुद्ध है। नहीं। हरगिज नहीं। शरीर की पवित्रता एवं अनंतता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पापी एवं धर्मी सब जीवित किये जायेंगे एवं स्वर्ग या नरक में अनंत काल तक शरीर के साथ डाले जाएंगे। यौन इच्छा एवं वैवाहिक सम्बन्ध पवित्र है क्योंकि सृष्टि के प्रथम जोड़े को परमेश्वर ने आशीष दी कि “फूलो फलो एवं पृथ्वी में भर जाओ” (उत्पति 1:28)। भोजन इत्यादि कि इच्छा पवित्र है क्योंकि परमेश्वर ने स्वाद एवं आनंद की अनुभूति के साथ जीवन का निर्माण किया और आशीष दी कि मनुष्य भोज्य पदार्थों का आनंद ले क्योंकि उसी के आनंद के लिए पेड़ पौधों इत्यादि का निर्माण किया गया (उत्पति 2:16). कहने का तात्पर्य यह है कि शरीर अपनी लालसाओं के साथ अपने आप में पवित्र है। शरीर के किसी भी अंग में ऐसा कुछ भी नहीं है जो अपवित्र माना जाए।

गुड फ्राइडे पर बहुत छोटा सा सबसे ख़ास सन्देश

गुड फ्राइडे के दिन अगर कुछ याद करना है तो बस इतना ही याद करें कि आप परमेश्वर के लिए सबसे कीमती हैं। यहां तक कि आप उसको उसकी जान से भी प्यारे है। हो सकता है आपकी नज़र में आपकी कोई कीमत न हो। हो सकता है आपके पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों या जान पहचान वालों ने आपको अहसास दिलाया होगा कि आप की कोई इज्जत या कीमत नहीं है, लेकिन आप याद रखें कि आप परमेश्वर के बहुमूल्य मैमने के कीमती लहू के द्वारा खरीदे गए है। यह सब परमेश्वर ने इसलिए किया कि आपको यह अहसास दिलाये कि आपकी कीमत परमेश्वर की नज़र में क्या है।

मैं सोचता हूँ कि आगे दिया गया प्रभु के दास का वाक्य शायद इस बात को ठीक से पेश करता है –

मसीह के द्वारा क्रूस पर उठायी गयी क्रूर सजा में हम पापी और विद्रोही मानवीय स्थिति के चरम दोषों घृणा, हिंसा, अन्याय, अहंकार, मूर्खता, व्यसनों, आत्म-उग्रता, अपमान, भय, और भय के साथ हमारे जुनून के ऊपर परमेश्वर के न्याय को देखते हैं: । मृत्यु की एक सामान्य संस्कृति के ऊपर जो मानव के उत्कर्ष के विरुद्ध है, परमेश्वर ने अपने बेटे को यातना के रोमन साधन (क्रूस) पर ऐसी मृत्यु दी कि उस मृत्यु में परमेश्वर ने भी उसको भुला दिया।
-जैम्स आर हार्ट

शरीर के काम: कौन से काम है अशुद्ध?

“अब मांस (शरीर) के कार्य स्पष्ट हैं, जो हैं: व्यभिचार, हवस, अशुद्धता, अश्लीलता” (गलातियों के नाम संत पौलुस का पत्र 5:19).

इन शब्दों को या इस पंक्ति को जब हम पढ़ते है तो सबसे पहली गौर करने वाली बात है कि यहां जो चारों शब्द जो आये है वो सब के सब सैक्स (यौन) से जुड़े हैं। इससे हमें यह अंदाजा लगता है कि परमेश्वर यौन पापों को कितना गंभीरता से लेता है। चारों शब्दों को गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि चारों यौन पाप है मगर चारों में थोड़ी थोड़ी विभिन्नता या अंतर है। व्यभिचार और हवस एक दूसरे से जुड़े है क्योंकि हवस के बिना व्यभिचार नहीं होता मगर हो सकता है कि हवस हो लेकिन व्यक्ति व्यभिचार न कर पाए। कई लोग शर्म, डर या किसी मजबूरी के कारण व्यभिचार नहीं कर पाते लेकिन भीतर ही भीतर हवस (कामाग्नि) से जलते रहते हैं। कुछ भी हो लेकिन यह बात स्पष्ट है कि शरीर के इन घटिया कामों से परमेश्वर घृणा करता है। दूसरी तरफ हमें यह सीखना है कि परमेश्वर, पति पत्नी के रिश्ते एवं यौन संबंधों को आशीर्वाद देता है। पवित्र बाइबल की पुस्तक “उत्पति” में यह वर्णन है कि परमेश्वर ने प्रथम मनुष्यों की जोड़ी के यौन संबंधों और संतानोत्पत्ति पर आशीष दी। पाप एवम दुष्ट चालाक शैतान उस आनंददायी सैक्स के मामले में खेलकर या मानव लुभाकर मानव के यौन संबंधों को भ्रष्ट कर डाला। यह प्रक्रिया अनवरत जारी है।

कैसे जीयें धर्मी जीवन?

धर्मी जीवन जीने का एक ही तरीका है। वह तरीका है अपने जीवन की परवाह न करना। पुराने नियम में हम पायेंगे कि भविष्यववक्ता बिलाम जब राजा बालाक और उसकी सेना के कब्जे में थे तो समझौता नहीं किया और साफ साफ कहा कि, “सौभाग्य यदि मेरी मृत्यु धर्मियों जैसी और मेरी समाप्ति उनके जैसी होती है” (निर्गमन 23:10).

नया नियम में संत पौलुस बेहतरीन उदाहरण है जो कहते है कि, “मेरे लिए जीना मसीह है और मरना नफा है” (फिलिप्पियों 1:21). इस संसार में धार्मिकता से जीना तब तक असंभव है जब तक हम अपने जीवन की परवाह करते है, डरते है, लालच करते है और समझौतावादी जीवनशैली अपनाते है। भविष्यवक्ता दानिय्येल जैसे और भी कई लोग है जिन्हें हम धर्मी कहते है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की परवाह न की।

पाप का मजा या मजेदार पाप

पाप मजेदार ही होता है। अगर एक व्यक्ति किसी के साथ व्यभिचार करेगा तो उसे आनंद की प्राप्ति होगी और वह अच्छा ही महसूस करेगा। मै यह बात पूरी गंभीरता के साथ कह रहा हूँ कि एक व्यक्ति को मै समझा रहा था कि व्यभिचार बुरी बात है और पाप है। उस व्यक्ति ने हँसते हुए मेरी बात को काटा और कहा कि व्यभिचार करने से दोनों व्यभिचारियों को आनंद की प्राप्ति होती है और सुकून मिलता है इसलिए यह पुण्य है पाप नहीं। उसने इस आधार पर व्यभिचार के पाप को वैध ठहराया कि इससे आनंद की प्राप्ति होती है। आपको एक और उदाहरण देता हूँ। पियक्कड़ होना पाप है लेकिन जो एक बोतल शराब पीकर पागलपन का आनंद लेता है, उसे सिर्फ मजा ही आता है। लोग यह मानते है कि जिससे अच्छा महसूस होता है वह पाप नहीं, और जिससे अच्छा महसूस नहीं होता वह पाप है, नहीं तो गलत तो पक्का है। इस माइंडसेट के साथ लोग जीते है। एक और उदाहरण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देख लीजिये। एक ही पति की पत्नी बनकर एक ही पति को तन मन से चाहना उतना मजेदार नहीं जितना अपने नाना प्रकार के साथ उनकी मोटर साइकिलों पर बैठकर पिकनिक मनाने में है। दूसरे शब्दों में कहें तो अपने परिवार की देखभाल करना और खुद को घरेलु कामों में खपाने वाला काम उतना मजेदार नहीं महसूस होगा जितना अपने प्रेमियों के साथ सिनेमाघरों में जाकर फिल्म का मजा लेने में है। किसी को झूठ बोलकर धोखा देने में जितना मजा है उतना मजा सच बोलकर दुःख उठाने में कहाँ होगा। पवित्र वचन में जो पहला पाप या मानव के पाप में गिरने का जो मूल कारण है वह आँखों के मजे से व जीभ के आनंद से जुड़ा है। मनमोहक या आनंददायक आँखों को भाने वाला लुभावना पाप ही मानव और परमेश्वर के बीच दीवार बना। जीभ से मजा लेने की रुचि या चाहत पाप में गिरने की मूल वजह बनी।
मैंने यह अनुभव किया है कि मेरी पाप से दुश्मनी या पाप के ऊपर गुस्से के कारण कुछ लोगों से मेरे रिश्ते खराब हो गए है क्योंकि उन्हें बहुत बुरा लगा या दुःख लगा कि मैंने उन्हें पाप का मजा लेने से रोकने की कोशिश की। मैंने चाहा कि उनके शरीर के अंग एवं मन पाप का मजा न लें और परमेश्वर की भली इच्छा को पूरा करे। वो लोग अपने साथी से ही बेहद प्यार करे। अपने परिवार के साथ मिलकर एक मजबूत पारिवारिक रिश्ते के साथ प्रभु की महिमा करें। मेरी यह चाहत बहुतों के लिए गुस्से या पीड़ा का कारण बनी क्योंकि पाप बड़ा आकर्षक और मजेदार होता है। मुझे अफ़सोस उस वक्त होता है जब उन्हीं लोगो को बाद में तड़पते हुए देखता हूँ।